इस बात में रत्ती भर भी शक नही की कोई भी नशा बेचकर मोटी कमाई होती है और पैसा ही एकमात्र लालच है जिसके लिए नशे के जहर का कारोबार किया जाता है । नशा बेचकर मात्र चन्द सालों में गगरेट के नशीली दवा आरोपित ने आकूल सम्पत्ति जोड़ी । आरोपित को सलाखों के पीछे भेजने के बाद जब उसकी प्रोपर्टी का हिसाब सीआईडी के विंग एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के जांच अधिकारी ने किया तो हैरानी वाले तथ्य सामने आए है । आरोपित ने मात्र चन्द सालों में अपने नाम से 24 जमीन की रजिस्ट्री करवाई है और उसने अपनी पत्नी के नाम से 40जमीनें खरीदी है । इस जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि ये जमीनें मात्र छह साल के अंदर अंदर खरीदी गई है और गगरेट की प्राइम लोकेशन पर ये सब जमीनें है । इन जमीनों की किम्मत करोड़ो रूपए में आंकी जा रही है । हालांकि अभी आरोपित की बहनों के नाम से भी जमीनों की जांच की जाएगी और ऐसे दस्तावेज़ भी खंगाले जा रहे है जिनमें जमीन तो किसी अन्य के नाम से है लेकिन उसमें पावर ऑफ अटॉर्नी आरोपित के नाम से है । क्योंकि आरोपित के पास से व्यवसायिक मात्रा में नशीली दवा पकड़ी गई थी तो अब ये सारी सम्पत्ति अटैच की जाएगी ।नशा अधिनियम के तहत यदि नशा आरोपित के पास नशे की मात्रा व्यावसायिक क्षमता में बरामद होती है तो ऐसे में आरोपित की सम्पत्ति को अटैच किया जाएगा यानी उसकी सम्पत्ति को सरकार अपने अधिकार में ले लेगी ।
आरोपित ने गगरेट में नशा बेचकर करोड़ो रूपए की जमीनें खरीदी लेकिन अब ये सारी जमीनें सरकार अपने अधिकार में ले लेगी यदि आरोपित पर आरोप सिद्ध हो जाते है तो ऐसे में करोड़ो रुपए की जमीन राख में बदल जाएगी ।
इनसेट
180 ग्राम चिट्टा किसके लिए आया कुछ पता नही
पुलिस रिमांड में आरोपित से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है लेकिन आरोपित झूठी कहानियां पुलिस को सुना रहा है और गुमराह कर रहा है । अभी तक पुलिस इस मामलें में यह भी पता नही कर पाई है कि गगरेट में इतनी मात्रा में चिट्टा किसके लिए आया था । हालांकि पुलिस आरोपित के मोबाइल की सीडीआर मंगवा कर आगामी जांच कर रही है ताकि इस आरोपित का दोनों तरफ से लिंक जुड़ पाए लेकिन फिलहाल पुलिस इस मामलें में पूरी तरह से खाली हाथ है ।
बॉक्स
दवा मामलें में जांच सीआईडी कर रही है जबकि चिट्टा आरोपित ने रिमांड के दौरान फिलहाल कुछ भी ऐसा नही बताया है जिस से कोई आगे की कड़ी जुड़ पाए ।
वसुधा सूद , एसडीपीओ अम्ब