अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
कौन से शौक़ किस हवस का नहीं
दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं
ख़र्च चलेगा अब मेरा किस के हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं
जमा हम ने किया है ग़म दिल में
इस का अब सूद खाए जाएँगे
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
‘जौन’ दुनिया की चाकरी कर के
तूने दिल की वो नौकरी क्या की
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम